Wednesday, September 25, 2019

कहानी का क़िरदार

इक तू है.. की रोज़ बदलते इश्तहार सा है ।
इक मैं हूँ.. की दीवार हूँ अब भी ।।
उसी कहानी का क़िरदार हूँ अब भी ।
शायद इसीलिए बरक़रार हूँ अब भी ।।

No comments:

Post a Comment