Ek dhundhali si shaam se nikli kuch yaadein.......
इक तू है.. की रोज़ बदलते इश्तहार सा है । इक मैं हूँ.. की दीवार हूँ अब भी ।। उसी कहानी का क़िरदार हूँ अब भी । शायद इसीलिए बरक़रार हूँ अब भी ।।
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