Friday, December 25, 2020

अपनी उलझन में ही

अपनी उलझन में ही अपनी मुश्किलों के हल मिले,
जैसे टेढ़ी मेढ़ी शाखों पर रसीले फल मिले,
उसके खारेपन में भी एक कशिश होगी ज़रूर,
वरना क्यूँ सागर से यूँ जा जाकर गंगा जल मिले....

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