Wednesday, January 20, 2021

जबसे उलझा हूँ

जबसे उलझा हूँ, दुनियाँ की रस्मों - रिवाज में,
मेरा खुद से क्या रिश्ता है ये भूल बैठा हूँ,
एक तेरे वजूद में खुद को पाने का गुनाह क्या किया,
अपने वजूद को मिटा बैठा हूँ।

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