Saturday, January 30, 2021

किसी क़मीज़ की

किसी क़मीज़ की
बटन से टांके थे,

चन्द बोसे
अपने सुर्ख़ लबों से
उसने मेरे होठों पे कभी,

कि भूल गये हों 
वो बेशक़, मगर
वो मंज़र अब तलक
मुझे हूबहू याद है.......!!

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