कहते हैं ज़िन्दगी दो तरह से
जी जाती है, एक तो जो हो रहा है वो होने दो और उसी में खुश रहो, दूसरा ये कि वो
करो जो दिल चाहता है और अपने सपनों को पूरा करो । पहले तरीके से जीने वाले बहुत सारे मिल जाते हैं, लेकिन दूसरे तरीके से जीने
वाले बहुत कम मिलते हैं । ये कहानी है ऐसे ही 5 लड़कों की, जो ज़िन्दगी को अपने
तरीके से जीते हैं, जो ज़िन्दगी को एक खेल की तरह जीते हैं, वो सुनते तो सब की हैं
लेकिन करते वही हैं जो उनका दिल चाहता है । इस कहानी की शुरुआत होती है एक
यूनिवर्सिटी से । जहाँ जर्नलिज़म पढ़ने आए ये पाँचों लड़के एडमिशन लेते हैं । अलग –
अलग जगह और अलग – अलग परिवारों से आए ये लड़के वैसे तो एक दूसरे से बिल्कुल अलग हैं
। सबका रंग – रूप, कद – काठी एक दूसरे से बिल्कुल जुदा है, लेकिन बहुत सी बातें
उनमें एक जैसी ही है ।
सब मस्ताने झुण्ड बनाकर निकल पड़ते हैं, कहीं लड़कियों का अपना ग्रुप होता है,
कहीं लड़कों का अपना अलग, तो कहीं – कहीं पे लड़कों और लड़कियों का एक मिलाजुला ग्रुप
होता है । लेकिन सब अपने मन की करना चाहते हैं, घूमे – फिरे, खाएं – पिएं, और फ़ोटो
खिंचवाएं । वो कहते हैं न कि ये उम्र ही ऐसी होती है जवानी की, जहाँ फ़िक्र कम होती
है और मस्तियाँ ज़्यादा । वैसे भी यूनिवर्सिटी में दोस्ती ज़रा जल्दी होती है,
क्योंकि कई सारे काम मिलकर करने होते हैं, प्रोजेक्ट बनाने होते हैं, असाइनमेंट
पूरे करने होते हैं, नोट्स एक – दूसरे को शेयर करने होते हैं, गप्पे भी लड़ानी होती
हैं इसलिए जिसकी जितनी जल्दी दोस्ती हो जाती है, उसके लिए उतना ही अच्छा होता है ।
तो जर्नलिज़म का कोर्स करने आए ये 5 लड़के भी बहुत जल्दी अपनी क्लास के ज़्यादातर
लड़के - लड़कियों के दोस्त बन जाते हैं, और आपस में भी । ऐसे दोस्त कि सब काम साथ
में ही करते हैं.... आना – जाना, पढ़ना – लिखना, उठना – बैठना, ख़ाली पीरियड में
शैतानी और मस्ती, या फिर लड़कियों को जोक्स सुनाने हो, या टिफ़िन चुरा के खाना हो । या
फिर किसी की टांग खींचनी हो या कैंटीन में जाकर उधम करनी हो, सब साथ में ।
इन पांच लड़कों में पहला है... जॉर्डन, दोस्तों का दोस्त और यारों का यार, नेचर
फोटोग्राफी और घूमने – फिरने का सबसे ज़्यादा शौक़ीन और छुप – छुप के सिगरेट पीने
वाला । आर्मी ज्वाइन करना चाहता था लेकिन कर नहीं पाया तो जर्नलिज़म की दुनियाँ में
आ गया । दूसरा लड़का है... राजे, ये पहले वाले से भी ज़्यादा यारों का यार है, इसके
लिए अपनी ख़ुशी बाद में है, यार का ग़म पहले है । दोस्तों की मद्द करने के लिए कुछ
भी कर सकता है । इसे खिलाने – पिलाने का बहुत शौक है । और तीसरा है... अवी, एक
नंबर का गुस्सैल, गाने का बहुत शौक़ीन है, अक्सर अपने बेसुरे राग अलाप कर बोर करता
रहता है । लेकिन दोस्तों के लिए कुछ भी कर सकता है, ख़ुद ज़मीन पर सो जाएगा लेकिन
दोस्त को बेड पर ही सुलाएगा । इमोशनल भी बहुत है, कभी – कभी रो भी देता है । इनमें
चौथा है.... सौर, ये अपने टाइप का अलग ही इन्सान है, इसे सबसे ज़्यादा मज़ा दोस्तों
की टांग खींचने में आता है, जर्नलिज़म की दुनियाँ में बड़ा नाम कमाना चाहता है,
इसलिए रात – रात भर जागता है, मेहनत करता है, और क्लास में सबसे लेट । और इन सबका
पाँचवा दोस्त है... सैम, ये सबसे ज़्यादा ख़ुरापाती दिमाग का है, ये कभी किसी काम के
लिए ना नहीं कहता । हर काम में आगे । इसे फ़िल्में देखने का बहुत शौक है, अक्सर ये
दोस्तों को फ़िल्म दिखाने का प्लान बनाता रहता है । लेकिन है बड़ा शैतान ।
पांचों अपनी अलग – अलग दुनियाँ से आए हैं, और उनके अपने – अपने सपने हैं । वैसे
भी सबके सपने एक जैसे नहीं होते । जहाँ जॉर्डन अपना ख़ुद का पब्लिकेशन हाउस बनाना चाहता
है, वहीं राजे चाहता है कि, “वो एक बड़ा फ़िल्म मेकर बने, चाहे उसके लिए कितनी भी
मेहनत क्यों न करनी पड़े....?” वैसे जॉर्डन का एक सपना और भी है..... कोई है, जिसके
ख़यालों में वो अक्सर खो जाता है, जिसकी तस्वीर अपनी आँखों से दिल में उतार कर वो
अक्सर नदी के किनारे बैठ कर कागज़ पर बनाया करता है, सभी जानते हैं कि, “जॉर्डन उस
लड़की को बहुत पसंद करता है ।” लेकिन राजे की ज़िन्दगी में फ़िलहाल ऐसा कुछ भी नहीं,
हाँ... दोस्त की इस मामले मद्द ज़रूर करता है, वो भी पूरे दिल से । उधर अवी का सपना है कि, “वो किसी बड़े मीडिया हाउस में
एक एडिटर बने ।” लेकिन एक सपना तो इसका और भी बड़ा है, किसी फ़िल्मी हीरो की तरह ये
भी रोमांस का किंग बनना चाहता है और भगवान ने इसकी सुनी भी, इसे अपनी एक क्लासमेट
से प्यार हो गया । और उसका प्यार पाने के लिए इसने प्रयास भी करने शुरू कर दिए ।
लेकिन सौर थोड़ा अलग हटके सोचता है, ख़ुद का न्यूज़ पेपर चलाना चाहता है, और उसका
ये मानना है कि जब तक मुझे मेरे सपनों की रानी नहीं मिलेगी, तब तक मैं कोशिश करता
रहूँगा और ज़्यादा से ज़्यादा लड़कियों के पास प्रणय निवेदन लेकर जाता रहूँगा । वैसे लकी
है सौर क्योंकि क्लास की एक बहुत प्यारी सी लड़की उसे ख़ुद से भी ज़्यादा चाहती है ।
और इस कहानी का आख़िरी हीरो तो बस पैसा कमाना चाहता है, यानी कि सैम... काम सही हो
या ग़लत अगर थोड़ी मेहनत करने से पैसे आ जायें तो ये कर ही लेता है और ये अपने सारे
काम इधर – उधर से जुगाड़ लगाकर करता ही रहता है । दोस्त इसे प्यार से मिस्टर फ्रॉड
भी कहते हैं, वैसे प्यार के मामले में ये बड़ा कंफ्यूज़ रहता है, इसे लाइफ में कई
बार सच्चा प्यार हो चुका है, वैसे इसकी सबसे ख़ास दोस्त है, बचपन से... प्रतिभा ।
जो हर बुरे वक़्त में इसका साथ देती है और इसकी मद्द करती है ।
ज़िन्दगी वैसी भी नहीं होती जैसा हम हमेशा सोचते हैं, और हमेशा वो नहीं होता है
जो हम चाहते हैं, होता तो बस वही है, जिसके लिए हम पूरी शिद्दत से कोशिश करते हैं
और वो कोशिशें अगर रंग भी ले आएं । ये मुमकिन ही नहीं कि जैसा हम सोचें वही होने
लगे और हर एक ख़्वाब पूरा हो जाए ।
क्योंकि ख़्वाबों और चाहतों की फ़ितरत भी छोटे से ज़िद्दी और शरारती बच्चों के जैसी
ही होती है, जो मान जाएं तो गले से लग जाएं और जो न माने तो दूर चले जाएं । ऐसे ही
इन पाँचों लड़कों के साथ भी होता है, इनके ख़्वाब और इनकी चाहतें तो बहुत हैं लेकिन
हमेशा वही नहीं होता जो ये सोचते हैं । जब ये ख़्वाबों की दुनियाँ से बाहर निकल कर हक़ीक़त
से रूबरू होते हैं तो मंजिलें कुछ और तो रास्ते कुछ और होते हैं । वक़्त अपनी पूरी
रफ़्तार से चलता रहता है और पता ही नहीं चलता कि, “कब दिन गुज़रा ? कब रात आई ? और
दिन – रात महीनों में बदलने लगे ।” ऐसे ही यूनिवर्सिटी का एक साल पूरा कब
गुज़र गया पता ही नहीं चला ? और इस एक साल में सबने ज़िन्दगी के कई सारे रंग देखे । यूनिवर्सिटी
की पढाई, रेगुलर क्लासेज, क्लास टेस्ट, इंटरनल एग्जाम, सेमेस्टर एग्जाम,
प्रैक्टिकल, लैब, फेस्ट, दोस्तों के बर्थ डे, क्लास बंक और न जाने क्या – क्या ?
और इन्हीं सब के बीच किसी से प्यार तो किसी से तकरार, किसी की शिक़ायत तो किसी से
झगड़ा ये सब चलता रहा । कभी आपस में बात बिगड़ी तो कभी बात होनी बंद हो गई ।
कभी जॉर्डन को लगा कि उसे ज़िन्दगी में सबकुछ मिल गया है, क्योंकि उसके हाथों
में वो हाथ था जिसके वो ख़्वाब देखा करता था और उसकी तस्वीरें बनाया करता था । बहुत
खुश था वो, अक्सर वो अपना वक़्त उसके साथ में गुज़ारा करता था उसे लगता था कि उसके प्यार
की ख़ुशी उसकी अपनी ख़ुशी है । उसकी ख़ुशी देखकर सब दोस्तों की ख़ुशी बढ़ जाती थी । और
फिर राजे अक्सर उसे बुलाकर सब दोस्तों को चाय और समोसे की पार्टी किया करता था ।
उस वक़्त जॉर्डन इतना ख़ुश था कि हर काम में सबसे आगे रहता था चाहे पढ़ना – लिखना हो
या घूमना – फिरना हो या इंटर्नशिप । हर जगह वो दोस्तों की जान था । उस वक़्त वो
वीडियोग्राफी का इतना शौक़ीन था कि यहाँ – वहाँ, इधर – उधर घूमने का प्लान बनाया
करता था और सबको साथ में लेकर कंधे पर कैमरा लटकाए निकल पड़ता था । घंटों अपनी बाइक
दौड़ाता रहता था, पूरे शहर के कोने – कोने में निकल जाता था सबके साथ शूट करने.....
To be continued.......
Keep on reading........
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