Ek dhundhali si shaam se nikli kuch yaadein.......
लफ़्ज़ों से था जो परे खालीपन को जो भरे कुछ तो था तेरे मेरे दरमियाँ,
रिश्ते को क्या मोड़ दूँ, नाता अब ये जोड़ लूँ या यूंही छोड़ दूँ दरमियाँ
बेनाम रिश्ता वो बेचैन करता जो हो न सके जो बयां कुछ तो था तेरे मेरे दरमियाँ,
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