Ek dhundhali si shaam se nikli kuch yaadein.......
जाने ऐसी कौन सी बंदिश थी तुम में प्रिये, बहुत आज़ाद होते थे हम, तुम्हारी बाहों के दायरों में.... 🚶🚶
No comments:
Post a Comment