था मैं नींद में
और मुझे इतना सजाया जा रहा था...
बड़े ही प्यार से मुझे नहलाया जा रहा था...
न जाने था वो कौन सा अजब खेल ??
मेरे घर में...
बच्चों की तरह मुझे कंधो पे उठाया जा रहा था...
था पास मेरे मेरा हर अपना उस वक़्त...
फिर भी मैं हर किसी के मुंह से बुलाया जा रहा था...
जो कभी देखते भी न थे मुझे मुहब्बत की नज़र से...
उनके दिल से भी प्यार मुझ पर लुटाया जा रहा था...
मालूम नहीं क्यूं हैरां था हर कोई मुझे सोता देख कर ???
ज़ोर-ज़ोर से रोकर मुझे हँसाया जा रहा था....
कांप उठी मेरी रूह !!!!
मेरा वो मकां देख कर...
पता चला मुझे दफ़नाया जा रहा था...
रो पड़ा फिर मैं भी अपना वो मंज़र देख कर...
जहां मुझे हमेशा के लिए सुलाया जा रहा था...
Tuesday, July 2, 2019
था मैं नींद में
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