चौराहे पर चाय वाले ने हाथ में गिलास थमाते हुए पूछा........
"चाय के साथ क्या लोगे साहब"?
ज़ुबाँ पर लफ्ज़ आते आते रह गए
"पुराने दोस्त मिलेंगे क्या" ?
जिम्मेदारियां मजबूर कर देती हैं अपना शहर छोड़ने को,
वरना कौन अपनी गली मे जीना नहीं चाहता.....
हसरतें आज भी खत लिखती हैं मुझे, पर मैं अब पुराने पते पर नहीं रहता ....
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