Ek dhundhali si shaam se nikli kuch yaadein.......
बाशिंदा है इक अदद लाश का, ज़ुर्रतों के जानिब क़दमपोशी इसकी, अश्क़ न टपके रुख़सती वास्ते, लहू पे ख़ुद बेवजह आरज़ूएं मलाल की....
No comments:
Post a Comment