Wednesday, April 3, 2019

आरज़ूएं मलाल की....

बाशिंदा है इक अदद लाश का, ज़ुर्रतों के जानिब क़दमपोशी इसकी,
अश्क़ न टपके रुख़सती वास्ते,
लहू पे ख़ुद बेवजह आरज़ूएं मलाल की....

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