अरसे बाद आज फिर हम साथ थे,
कुछ देर तसल्ली से बैठ गुज़रे लम्हें बाँट लेने की तैयारी थी,
कप की चाय छोड़ मैं तुम्हारे शब्दों को पी रहा था,
अचानक नींद खुल गई,
तुम फिर ओझल हो गयी मेरे ख़्वाबों से,
और मैं,
ढूंढता रहा तुम्हें,
अपनी यादों की पोटली में,
ढेरों यादें पलट - पलट कर......
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