Thursday, July 8, 2021

इच्छाएँ मुझको लूट चुकी आशाएं मुझसे छूट चुकी

अब अंतर में अवसाद नहीं 
चापल्य नहीं उन्माद नहीं 
सूना-सूना सा जीवन है 
कुछ शोक नहीं आल्हाद नहीं 

तव स्वागत हित हिलता रहता 
अंतरवीणा का तार प्रिये ..

इच्छाएँ मुझको लूट चुकी 
आशाएं मुझसे छूट चुकी 
सुख की सुन्दर-सुन्दर लड़ियाँ 
मेरे हाथों से टूट चुकी 

खो बैठा अपने हाथों ही 
मैं अपना कोष अपार प्रिये 
फिर कर लेने दो प्यार प्रिये ..
फिर कर लेने दो प्यार प्रिये ..

One of my favorite Poem...

No comments:

Post a Comment