Sunday, March 24, 2019

ख्वाबों में तेरा चेहरा

ख्वाबों में तेरा चेहरा पढ़ता हूँ ,
खवाब को हकीकत बनाऊ कैसे !!!
इख्तेयार में मेरे अब कुछ भी नहीं ,
अकेले इक आशियाँ बनाऊ कैसे !!!
बेखुदी की यह तो इब्तेदा है,
इन्तेहाँ की हद्द तक जाऊं कैसे !!!
मेरी ग़ज़लें हें तुम्हारा आइना,
तन्हाई में अब नज़्म बनाऊं कैसे !!!

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