प्रिये मेरी आज Women’s Day पर तुम्हारे लिए हमारी विशेष कविता तुमको समर्पित है.......
Facebook पर तुम्हारा मुझसे पहली बार मिलना,
हमारे इश्क का पहला पैगाम था,
तुमको देखकर इस कदर दिल का धड़कना,
तुमको देखकर साँसों का तेज़ी से चलना,
हमारे इश्क का पहला पैगाम था!
WhatsApp पर आकर मुझसे घंटों बतियाना,
मेरी कविता, मेरी बातें, मेरे किस्सों को सुनकर,
तुम्हारे वो मुस्कुराते लबों पे हसीं,
तुम्हारे माथे पर से गिरती बालों की लटें सुलझाना,
हमारे इश्क का पहला पैगाम था!
दिन में कई बार तुम्हारा मुझको मैसेज करके I Love You कहना,
मेरे पास तुम्हारे होने का एहसास कराते हैं..
बार बार कॉल कटने के बाद भी मुझसे बातें करना,
मुझको ये भरोसा दिलाते हैं…………
कि तुम मेरी हो.....
जब जब तुम मुझसे कहती हो,
समीर मुझको यहाँ से ले जाओ,
तो सच कहता हूँ तुम मुझको बहुत प्यारी लगती हो,
ऑफिस में जाकर तुम काम करती हो,
फिर भी सारा दिन मुझसे बात करती हो,
और घर पर आकर फिर मेरे साथ रह जाती हो,
जनता हूँ जीवन के हर सुख-दुख में तुम मेरी जीवनसाथी हो,
खुद कितनी भी परेशान क्यों न हो,
अपनी परेशानी का एहसास तक नहीं दिलाती हो,
ख़ुद मेरे लिए इतना कुछ करती हो,
मैं कुछ करने को कहता हूँ तो मुझको डांट लगाती हो,
सच कहता हूँ,
तुम न मिलती तो पता नहीं ज़िन्दगी क्या होती,
अब तो लगता है, तुम हो तो मैं हूँ........... :)
No comments:
Post a Comment