Thursday, March 7, 2019

ग़रीबी बेचने निकला हूँ

अमीरी के इस दौर में ग़रीबी बेचने निकला हूँ,
प्यार की ज़रूरत में प्यार बाँटने निकला हूँ,
देख कर तुम्हारी महफ़िलों की रौनक भी,
अपनी चाहतों की बारात लेकर निकला हूँ!

थक जाते हैं जिन रास्तों पर लंबे क़ाफ़िले,
उन पर चरागों की रौशनी में निकला हूँ,
वादा कर लिया है तुमसे ज़िन्दगी का,
बिखर कर न टूटे वो अरमान लेकर निकला हूँ,

हर उम्मीद हो पूरी, कोई शिक़वा न रहे ज़िन्दगी से,
तुमसे वो रिश्ता जोड़ने पैगाम लेकर निकला हूँ,
आज बेशक़ दूरियाँ हैं अपने दरमियाँ,
पर होगी अपनी भी मुलाक़ात किसी रोज़ किसी मोड़ पे,
ये हौसला लेकर आज तेरी तलाश में निकला हूँ......

#RJNikhill

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