Sunday, January 5, 2020

ज़ख़्म खोलकर बैठा है

कहाँ ज़ख़्म खोलकर बैठा है पगले,
सारा शहर यहां नमक का है।
🚶🚶🚶🚶
दुग्गल साहब की कलम से

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