Ek dhundhali si shaam se nikli kuch yaadein.......
मैं फक्कड़ जीवन का अभिलाषी गठरी मे बाँधा कुछ भी नहीं चला जा रहा अनजान डगर पर कल का है कुछ ठौर नहीं
विरह वेदना से मैं दूर सब ही मेरे है मनमीत जहाँ रूक गया वही ठिकाना सब से जोडूं प्रीत की रीत
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