Friday, February 22, 2019

फक्कड़ जीवन

मैं फक्कड़ जीवन का अभिलाषी
गठरी मे बाँधा कुछ भी नहीं
चला जा रहा अनजान डगर पर
कल का है कुछ ठौर नहीं

विरह वेदना से मैं दूर
सब ही मेरे है मनमीत
जहाँ रूक गया वही ठिकाना
सब से जोडूं प्रीत की रीत

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